कोविड-19 से सुरक्षा के लिए डालमिया ग्रुप हर्बल कंपोज़िशन ‘‘डीएचएल कोरोना वायरस प्रिवेंटिव कैप्सूल’’ लाॅन्च कर रहा है। यह दवाई 16 मार्च, 2020 को लाॅन्च की जाएगी तथा सभी फार्मेसीज़ पर मिलेगी। यह भारत में आॅनलाईन रिटेल प्लेटफाॅर्म, डालमिया बेस्ट प्राईज़ (dalmiabestprice.in) पर भी मिलेगी। इस दवाई के 60 कैप्सूल के पैक का मूल्य 480 रु. है।
डालमिया ग्रुप ऑफ कम्पनीज के चेयरमैन श्री संजय डालमिया का कहना है कि डीएचएल कोरोनावायरस प्रिवेंटिव कैप्सूल एक पाॅलिहर्बल काॅम्बिनेशन है, जो कोरोना वायरस से सुरक्षा देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रतिरोधी शक्ति को मजबूत करता है और ब्रोंकोडाईलेटर, डिकाॅन्जेस्टेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एवं लंग डिटाॅक्सिफायर के रूप में काम करता है। इससे संक्रमण को कम करने और एलर्जिक रिएक्शंस को ठीक करने में मदद मिलती है। यह श्वसन नली के म्यूकोसा तथा फेफड़ों में वायुमार्ग का निर्माण करने वाली मांसपेशियों की दीवारों पर काम करता है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव है जो फेफड़ों के अंदर सूजन एवं रुकावट को कम करता है। इसके निरंतर उपयोग से फेफड़ों एवं मांसपेशियों को होने वाला नुकसान कम होता है तथा उनके कार्य में सुधार होता है।
डालमिया सेंटर फाॅर रिसर्च एंड डेवलपमेंट (डीसीआरडी) ने कई सालों की विस्तृत शोध के बाद 15 औषधियों का एक पाॅलिहर्बल काॅम्बिनेशन विकसित किया है, जिसे आस्था-15 का नाम दिया गया है। हमने इसी कंपोज़िशन तथा भारतीय चिकित्सा पद्धति में वर्णित सभी महत्वपूर्ण जड़ीबूटियों से डीएचएल कोरोनावायरस प्रिवेंटिव कैप्सूल बनाया है। डीएचएल कोरोनावायरस प्रिवेंटिव कैप्सूल पर स्पेशियल्टी गवर्नमेंट हाॅस्पिटल फाॅर थोरेसिक मेडिसीन, चेन्नई, भारत में रैंडमाईज़्ड डबल ब्लाईंड, प्लेसेबो कंट्रोल्ड अध्ययन किया गया, जो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रेस्पिरेटरी फिज़िशियंस के निर्देशन में हुआ। इसके बाद समीक्षकों ने नैतिक रूप से अनुमोदित क्लिनिकल प्रोटोकाॅल का पालन कर आधुनिक दवाईयों की तुलना में डीएचएल कोरोनावायरस की प्रभावशीलता की जाँच की।
डीएचएल कोरोनावायरस में मौजूद 15 जड़ीबूटियों का अद्वितीय मिश्रण व्यक्ति की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है। यह ब्रोंकोडाईलेटर, डिकाॅन्जेस्टैंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एवं लंग डिटाॅक्सिफायर के रूप में काम करता है। डीसीबीटी4567- डीएचएल कोरोनावायरस के उपयोग पर डबल-ब्लाईंड अध्ययन में यह पाया गया कि इस दवा की इस्तेमाल करने वाले मरीजों में डिस्पनिया, सूखी खांसी, बलगम वाली खांसी, विकलांगता एवं नींद की अनियमितता में काफी कमी (95 प्रतिशत) आई। ब्रांड आस्था-15 से निर्मित डीएचएल कोरोनावायरस के अभी तक कोई साईड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं, जो आम तौर पर एलोपैथिक दवाईयों के होते हैं।
कोविड-19 यानि कोरोनावायरस दुनिया में 87,000 से ज्यादा लोगों को प्रभावित कर चुका है। इसके लक्षण फ्लू की तरह होते हैं, जिनमें नाक का बहना, कफ, बुखार, शरीर में दर्द एवं सांस फूलना शामिल हैं। फेफड़ों में प्रतिदिन लगभग 7000 लीटर हवा पहुंचती है। ये वायरस हवा से फैलने के कारण सांस के साथ फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, जहां ये सैल मशीनरी पर हमला करते हैं और तेजी से विस्तार करने लगते हैं, जिससे व्यक्ति की प्रतिरोधी शक्ति कम हो जाती है और उसके शरीर में फ्लू के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। वायरस के कारण सांस फूलने लगती है, जो एलवियोलर सैल्स की लाईनिंग को हुए नुकसान की वजह से होता है।
जड़ी बूटियों और पौधों में आम तौर पर अनेक एक्टिव कैमिकल्स होते हैं, इसलिए इन स्रोतों से बनाई गई दवाईयों से मरीज के स्वास्थ्य को अनेक फायदे होते हैं। फाईटोमेडिसींस में अनेक एक्टिव कंपाउंड्स की मौजूदगी के कारण, ये विविध सिस्टम को प्रभावित करने वाली इन्फ्लेमेटरी डिज़ीज़ एवं अन्य लक्षणों के इलाज के लिए सर्वोत्तम हैं।
प्राकृतिक उत्पादों से बनाई गई हर्बल मेडिसीन में सांस की बीमारी के लिए वैकल्पिक थेरेपेटिक सामथ्र्य होती है, क्योंकि इसके अनेक तत्व एंटीइन्फ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं, जो श्वसन प्रणाली में शामिल इन्फ्लेमेटरी तत्वों को रोकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि पौधों से प्राप्त किए गए प्राकृतिक उत्पाद नाभिक में एनएफ-केबी का ट्रांसक्रिप्शन रोककर फेफड़ों की सूजन को रोकते हैं, जिससे एलर्जन, सिगरेट के धुएं, वायरस, या बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होने वाली सूजन की प्रक्रियाएं बढ़ने से रुकती हैं। इसलिए हर्बल सप्लीमेंट इन्फ्लेमेटरी साईटोकाईंस का उत्सर्जन एवं आॅक्सिडेटिव तनाव को रोक सकते हैं। ये प्रभाव मिलकर फेफड़ों के काम में सुधार करते हैं तथा फेफड़ों की सूजन को कम करते हैं।
ज्यादातर अध्ययन एनएफ-केबी एवं एमएपीके की रोकथाम के लिए प्रभावशाली प्राकृतिक तत्वों की ओर इशारा करते हैं तथ इन उत्पादों के एंटीआॅक्सीडेंट प्रभावों के बारे में बताते हैं।