हमारा शहर ओरेंज जोन से रेड जोन में कैसे आ गया



  • हमारा शहर ओरेंज जोन से रेड जोन में कैसे आ गया? यह सवाल शुक्रवार को शहर के आम लोगों की जुबां पर रहा।

  • कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए पैरामीटर तय किए हैं, उसके हिसाब से हमारा जिला रेड जोन में है।








  • हमारा शहर ओरेंज जोन से रेड जोन में कैसे आ गया? यह सवाल शुक्रवार को शहर के आम लोगों की जुबां पर रहा। दैनिक भास्कर ने प्रशासनिक अफसरों से इसका जवाब जानना चाहा लेकिन स्पष्ट रूप से किसी के भी पास इसका जवाब नहीं था। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए पैरामीटर तय किए हैं, उसके हिसाब से हमारा जिला रेड जोन में है। जबकि सीएमएचओ का कहना है कि गाइड लाइन के हिसाब से ग्वालियर रेड जोन में नहीं है, वे इस गलती को ठीक करवाएंगे। 


ग्वालियर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 9 कोरोना पाजिटिव मरीज मिले हैं। इनमें से एक मरीज की गुरुवार को ही पाजिटिव रिपोर्ट आई है। इसके पहले हमारा शहर ओरेंज जोन में था लेकिन गुरुवार रात को केंद्र सरकार की सूची में ग्वालियर फिर रेड जोन में आ गया है। यानी यहां संक्रमण का खतरा बरकरार है। केंद्र सरकार की नई गाइड लाइन में यह प्रावधान किया गया है कि जब तक पिछले 9 दिनों में कोई नया संक्रमित मरीज नहीं मिले या पुराने मरीज की रिपोर्ट आने के 14 दिन हो चुके हों, तब तक उस क्षेत्र को संक्रमण मुक्त घोषित नहीं किया जा सकेगा। इस लिहाज से ग्वालियर को रेड जोन में रखा गया है। सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन ने दो दिन पहले शहर का हीट प्लान तैयार किया था, जिसमें शहर के प्रत्येक वार्ड की मेपिंग की गई थी। यह रिपोर्ट राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार तक पहुंची थी। इस रिपोर्ट के अनुसार शहर के 30 वार्डों को अति संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। जबकि 19 वार्ड मध्यम संवेदनशील और 17 वार्ड कम संवेदनशील माने गए हैं। 


यह हैं शहर के अति संवेदनशील वार्ड



  • आबादी का घनत्व सामाजिक-आर्थिक स्थिति

  • बाहर से आने वालों की संख्या

  • टीबी या चेस्ट रोग के पीड़ितों की संख्या

  • प्रवासी मजदूरों की वापसी


इन वार्डों में क्या करेगा प्रशासन



  • वार्डवार निगरानी समितियां बनेगी

  • वार्ड के अंदर सबसे ज्यादा खतरे वाले स्थानों को चिह्नित किया जाएगा

  • इंसीडेंट कमांडेंट और समितियां प्रत्येक घर पर निगरानी रखेगी

  • लोगों को समझाइश देकर जागरूक किया जाएगा

  • सफाई, सैनिटाइजेशन, आइसोलेशन और होम क्वारेंटाइन पर निगरानी


11 दिन में 3 मरीज मिले, आने-जाने पर लगेगी पाबंदी


पिछले 11 दिन में काेरोना वायरस के संक्रमित तीन मरीज मिलने से ग्वालियर के रेड जोन में आने के साथ ही अब ई-पास के जरिए आवाजाही पर कसावट होेगी। सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी और मृत्यु संबंधी कारणों पर ही ई-पास जारी किया जाएगा। देश में एक प्रदेश से दूसरे प्रदेशों में शुरू हुई आवाजाही से बढ़े संक्रमण के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने गाइड लाइन में भी बदलाव किया गया है। पूर्व में केवल उन जिलों को रेड जोन में रखा जाता था, जिनमें संक्रमितों की संख्या 10 या उससे ज्यादा होती थी।


सिर्फ ग्रीन जोन समझाया
केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी गाइड लाइन में सिर्फ ग्रीन जोन को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार 21 दिन तक लगातार कोई मरीज न मिलने पर उस जिले को ग्रीन जोन घोषित किया जाएगा। इस तरह के जिलों में आवाजाही से लेकर व्यवसाय तक सभी तरह की छूट दी जाएंगी।


हर सप्ताह होगी समीक्षा
मरीजोें की संख्या और लोगों की आवाजाही के आधार पर प्रत्येक जिले की समीक्षा हर सप्ताह या इससे पहले भी की जाएगी। व्यवस्थाएं सुधरने के आधार पर तय होगा कि कौन सा जिला किस जोन में है। इसके आधार पर ही जिलों में छूट या सख्ती की दिशा तय होगी।


रेड जोन में गलती से आया होगा नाम, सुधरवा देंगे


-डॉ. एसके वर्मा, सीएमएचओ के मुताबिक, ग्वालियर का नाम  गलती से रेड जोन में आ गया है। जहां तक मेरी जानकारी है, जिस जिले में 10 से ज्यादा मरीज निकलते हैं। उसे रेड जोन में रखा जाता है। ग्वालियर में ऐसी स्थिति नहीं है। त्रुटिवश एंट्री हो गई है। वो ठीक करा दी जाएगी, आज ही ठीक करा देंगे।  


बाहर से आए हैं लोग इसलिए संक्रमण का खतरा है
-डॉ. अशोक दीक्षित, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य के मुताबिक, ग्रीन जोन के लिए पहले 28 दिन का क्राइटेरिया था, जिसे घटाकर 21 दिन कर दिया है। चूंकि ग्वालियर में नियमित अंतराल में मरीज सामने आ रहे हैं। बड़ी संख्या में बाहर से लोग आए हैं। संभवतः इन्हीं सब कारणों को ध्यान में रखते हुए ग्वालियर को रेड जोन में रखा गया होगा।